बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
'परिन्दे' निर्मल वर्मा की एक लम्बी कहानी है। पहाड़ों के सौंदर्य के बीच इनकी बाल्यावस्था के दिन व्यतीत हुए और आरंभिक शिक्षा भी यहीं हुई। दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से इतिहास में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। अतीत हमेशा से इनका प्रिय विषय रहा है। इनके पात्र दार्शनिक ढंग से अतीत से जुड़े रहते हैं। स्मृतियों के भँवर में डूब जाते हैं, उतर जाते हैं। परिन्दे यानी पक्षी- पक्षी उड़ते हैं, चहकते हैं, उनकी धरती है, उनकी हरियाली है। पहाड़ी इलाका, हॉस्टल, लड़कियाँ और इन्हें देखती लतिका छुट्टियों में मैडम लतिका घर नहीं जातीं। इस कहानी के एक हिस्से का सम्बन्ध मैडम लतिका से है। उसका अकेलापन सम्पूर्ण कहानी में दिखाई देता है। वह हँसना भूल गई है। एक फौजी 'गिरीश नेगी' के प्रति इनके मन में कोमल भाव जागे थे, तब लतिका के खिलने के दिन थे। उन दिनों मौसम में, वातावरण में कोई खुशबू घुली मिली थी। लतिका वर्तमान से भागकर जा छुपती है, दूर कहीं पेड़ों के पास गिरीश एक हाथ में मिलिटरी का खाकी सेट लिए खड़ा है, और अचानक गिरीश अपना मिलीटरी हैट लतिका के सिर पर रख देता है। लतिका मन्त्रगुग्ध-सी वैसी ही खड़ी रही। उसके माथे पर छोटा-सा बिन्दु है, बिन्दु पर उड़ते हुए बाल हैं। गिरीश ने उस बिन्दु को अपने होंठों से छुआ है और उसके सिर को अपने दोनों हाथों में समेट लिया है। दोनों के बीच बातों ही बातों में लतिका प्यार से गिरीश से कहती है- "तुम्हें आर्मी में किसने चुन लिया। मेजर जरुर बन गए गें..... पर जरा-जरा-सी बात पर चेहरा लाल हो जाता है।" वहीं मेजर गिरीश नेगी एक दिन चले जाते हैं यह कहकर कि वह कुछ महीनों में वापस आएगा। लेकिन वह नहीं आए। लतिका के हंसी के दिन खत्म हो गए। वर्तमान भी बोझिल हो गया और वह हर समय उदास अतीत में खोई रहती है। गिरीश नेगी की याद में वह डूबते-उतरते रहती है। अतीत ही उसका पर्याय है, वह उसे दबाए रखना चाहती है। इसलिए वह छुट्टियों में भी उस जगह को नहीं छोड़ती है जहाँ उसे नेगी से प्यार हुआ था। वह अकेले अतीत में जीना चाहती है। इस करुणामय भावनामय और प्रेममय अतीत को वह कभी विस्मृत नहीं कर पाती है। उसका अतीत ही उसका चैन है, सुकून है। उसका वर्तमान और भविष्य भी है !
कहानी का दूसरा अंश डॉ. मुकर्जी से संबंधित है। बर्मा पर जापानियों का आक्रमण होने के बाद वह इस छोटे से पहाड़ी शहर में आ बसे थे। मानना है, कि बर्मा से आते समय रास्ते में उनकी पत्नी की मृत्यु हो जाती है। उनके अन्दर भी अतीत है, परन्तु उसको वह कभी प्रकट नहीं करते हैं। उनकी बातों से लगता है, कि उनके हृदय में भी अतीत के प्रति मोह है, प्रेम है, तभी तो वह मिस वुड से कहते हैं "जड़े कहीं नहीं जमती, तो पीछे भी कुछ नहीं छूट जाता।"
कहानी का तीसरा अंश में मि. ह्यूबर्ट हैं, वे दियानी के मास्टर हैं। मिस वुड स्कूल की प्राचार्य हैं। जूली भी एक मिलिट्री अफसर से प्यार करती है। यह बात लतिका जानती है, लेकिन उस जूली को परिन्दे की भांति उस पर्याय में उड़ने देती है, प्रस्तुत कहानी लतिका की भावनाओं को प्रकट करते हुए समाप्त हो जाती है।
कहानी के पात्रों पर यदि हम दृष्टि डालें तो लतिका, डॉ. मुकर्जी, सभी अपना दर्द लिए जाते हैं। ऊपर से हँसने की असफल कोशिश करने वाले और अन्दर ही अन्दर रोते हुए चेहरों पर आने वाली छोटी से छोटी प्रतिक्रियाओं का प्रभाव समेटने का प्रयास काफी प्रभावशाली बन गया है।
उनके संवाद से पता चलता है, कि वे अन्दर से उदास हैं, तभी तो डॉ. मुकर्जी मिस वुड से कहते हैं- "जड़ें कहीं नहीं जमतीं, तो पीछे भी कुछ नहीं छूट पाता" फिर डॉ. मुकर्जी से कहते हैं "कभी- कभी तो मैं सोचता हूँ कि इंसान जिंदा ही क्यों रहता है, क्या उसे इससे कोई बेहतर काम करने को नहीं मिला है। इस कहानी के वातावरण का चित्रण बहुत सुन्दर किया गया है। पहाड़ी इलाका है, सर्दी की छुट्टियों में पत्तों की सांय - सांय करती आवाजें हैं। पिकनिक के लिए भूलादेवी मंदिर का वर्णन है। पहाड़ी इलाकों में वर्षा का कोई ठिकाना नहीं, कब हो जाये। बुरुस के फूल, चीड़ के पत्ते, बहते नाले यह सब दृश्य प्रकृति की ओर मोड़ देते हैं। जब मेघा छन्न आकाश में सरकते हुए बादलों के पीछे पहाड़ियों के झुण्ड कभी ऊपर आते थे, कभी छिप जाते थे। इस प्रकार पूरी कहानी में प्राकृतिक वातावरण का वर्णन रोचक ढ़ंग से किया गया है।
'परिन्दे' कहानी की भाषा भावानुकूल है। कहीं चिन्तन प्रधान भाषा है, कहीं रूमानी। रूमानी बोध को चित्रित करती कहानी में उर्दू के शब्दों का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं पूरे अंग्रेजी व्याकरण है। पूर्णतया अलंकृत भाषा हैं, मानवीकरण, प्रतीकात्मकता तथा बिम्बों का प्रयोग किया गया है। प्रवासी होने के कारण इनके कथ्य शिल्प और भाषा में प्रवासीय प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।
'परिन्दे' कहानी के माध्यम से निर्मल वर्मा ने अपना उद्देश्य भी प्रकट किया है। प्रेमी के मर जाने के बाद अतीत को याद कर लतिका पूरे संसार में स्वयं को स्वयं में ही सिमटा हुआ पाती है। निर्मल वर्मा की मान्यता है कि 'अतीत का मोह व्यर्थ है, मरे हुए के साथ मरना बेवकूफी है। शून्यता का अनुभव मनुष्य के जीवन में निराशा और अन्धकार के सिवाय कुछ नहीं लाता। अतः अतीत को जब तक हम विस्मृत नहीं करते, हम भविष्य में आगे कदम ठीक ढ़ंग से नहीं बढ़ा सकते हैं। अतीत को याद जरूर किया जाए लेकिन अतीत के साथ चिपककर रहना बेवकूफी है। अतीत को भुलाकर भविष्य की कामनाएँ रची जाएँ, गढ़ी जाएँ। प्रस्तुत कहानी हमें यही संदेश देती है।
|
- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियों का मूल स्वर मानवतावाद है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तीसरी कसम)
- प्रश्न- 'परिन्दे' कहानी संग्रह और निर्मल वर्मा का परिचय देते हुए, 'परिन्दे' कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परिन्दे' कहानी की समीक्षा अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- निर्मल वर्मा के व्यक्तित्व और उनके साहित्य एवं भाषा-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (परिन्दे)
- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)